Sunanda Aswal

Add To collaction

वार्षिक प्रतियोगिता हेतु कहानी

विथा: कहानी
विषय: शिक्षा व्यवसाय व बोझ जीवन 


चिदंबरम अभी नौ से दस वर्ष का हो आया ,
उसकी कक्षा अध्यापिका ने अभिवावक बैठक में सभी माता- पिता को हिदायत दी ..", देखिए बच्चा न‌ई कक्षा के लिए उत्तीर्ण
हो गया है..ये लिस्ट दे रही हूं ये किताबें शर्मा बुक डिपो से खरीद लीजिएगा ,सारी स्टेशनरी भी वहां से ले लीजिएगा ,ड्रेस के लिए सदर बाजार में राम आसरे की दुकान और सर्दियों की ड्रेस दिसम्बर से एप्लाई होगी ,जिस दुकान से बताया जाएगा वहीं से खरीदिएगा , अन्यथा विद्यालय प्रशासन ने आदेश दिया है कि , कहीं और दुकान से खरीदा जाएगा तो शेड अलग हो जाएगा ..! बच्चे को कक्षा में व विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलेगा ..! दूसरी बात यह फी बिल ले लीजिए ,अप्रेल ,म‌ई और जून की फीस देय है ,कल से दस तारीख के बीच जमा कर दीजिएगा ।" 

जाने माने विद्यालय में अध्यापकों को जो निर्देश दिए जा रहे थे उनका पालन जरूरी था ,इधर अध्यापक तीन चार बिल पकड़ाए ,किताबों के पम्पलेट विशेष दुकानें 
के लिए ..! 

सब कुछ धन तक सीमित रह गया है शिक्षा- व्यवसाय इस युग में सबसे अधिक फल रहा है । 
चिंदबरम के पिता को याद आया कि पहले कभी :
गांव , देहातों , पाठशाला में सरकारी स्कूलों में कभी दूर दराज इलाकों में पढ़ने वाले छात्र 
खुश होते थे , जब न‌ई कक्षा में जाना होता था तो पुरानी किताबों से काम चला लेते थे ..। प्रतिस्पर्धा के इस युग में वो स्कूल आज बंद होने की कगार पर हैं .. फिर दूसरी ओर शहर में कुकुरमुत्ते की तरह फैले कोचिंग संस्थान , निजी स्कूलों के दबाव के कारण ही हैं ..!"

तभी चिदंबरम ने पिता का ध्यान उस ओर किया जहां बड़ा ऑडिटोरियम था , वहां पर सालभर की गतिविधियों की एक डेक्यूमेंटरी फिल्म दिखाई जा रही थी । उसमें विद्यालय की नीतियों को वर्णन था , विद्यालय द्वारा प्रायोजित किया जा रहा था ..। यह निजी स्कूलों का चलन ही था जो , अच्छा प्रदर्शन अभिवावकों को आकृषित करने के लिए कर रहा था ..!

यथावत विद्यालय का शत्र शुरू हुआ :

फिर एक दिन चिंदबरम परेशान था..! 
कमर में असहनीय पीड़ा व रीढ़ की हड्डी में अत्यधिक दर्द था ..! उसका मन विद्यालय जाने का नहीं था ..! 

 मां ने कीचन से निकलते हुए पिता से कहा ,"--सुनिए ..! चिदंबरम की हालत ठीक नहीं है ..! उसे सुबह से ही चक्कर आ रहें हैं ..! वह स्कूल जाने की हालत में नहीं है .. कृपया छुट्टी ले कर डॉक्टर से जांच करवा दीजिए ..! रात भर सोया नहीं और मैंने बाम भी लगाया किंतु दर्द ज्यों का त्यों बना है असर ही नहीं हुआ ..!" 

उधर चिंदबरम के पिता ने उस दिन ऑफिस से छुट्टी ले ली  ..!

पिता ने जल्दी तैयार होने के लिए कहा ..! चिदंबरम खुश था कि, उसे आज ही दर्द से राहत मिल जाएगी ..! पिता के साथ वह ऑर्थोपेडिक सर्जन के पास पहुंचे वहां उस जैसे अनेकों बच्चे आए थे जिनको यही समस्या थी ..!

डॉक्टर ने जांच और निरीक्षण के बाद निष्कर्ष निकाला और चिदंबरम से प्रश्न किया ,"--बेटा ..! आप जब अपनी कक्षा में जाते हो तो कितना भारी बैग ले जाते हो ..? क्लास कितनी मंजिल तक है ..? बैग टाइम टेबल से ले जाते हो क्या ..? "

अब चिदंबरम की बारी थी बोला,"-- डॉक्टर अंकल ..! मैं तो अपना बैग टाइम- टेबल से ही ले जाता हूं ..! मेरी क्लास सेकेंड फ्लोर (दूसरी मंजिल) पर है ..! "

डॉक्टर बोले ,"--देखें आम तौर पर रोग कंधों में अत्यधिक भारी बोझ और दबाव के कारण होता है ..! स्पॉन्डिल’ तथा ‘आइटिस’ से मिलकर बना है..! स्पॉन्डिल का अर्थ है वर्टिब्रा तथा ‘आइटिस’ का अर्थ सूजन होता है इसका मतलब वर्टिब्रा यानी रीढ़ की हड्डी में सूजन की शिकायत को ही स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है..! इसमें पीड़ित को गर्दन को दाएं- बाएं और ऊपर-नीचे करने में काफी दर्द होता है..! स्पोंडिलोसिस की समस्या आम तौर पे स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है..! स्पोंडिलोसिस रीढ़ की हड्डियों की असामान्य बढ़ोत्तरी और वर्टेबट के बीच के कुशन में कैल्शियम की कमी और अपने स्थान से सरकने की वजह से होता है..! अभी फिलहाल कुछ दवाएं कैल्शियम की लिख देता हूं ,और योगा क्लास जरुर करवाएं ..! दूसरा  बिस्तर के नीचे मोटे गद्दे ना बिछाएं ..! तकिया ना लगवाएं ..! हो सके तो बैग को अवश्य जांच लें ..!"

डॉक्टर की सलाह मानकर चिदंबरम के पिता 
उसे लेकर घर की ओर चल पड़े लेकिन इस बार स्कूल मेनेजमेंट से मीटिंग का मन बना लिया था ..! चिदंबरम की किताबों का बोझ देखकर दंग रह गए ..! उसमें बारह से तेरह तक किताबें व दस रजिस्टर भी थे ..! कुल मिलाकर बाइस वे चौंक उठे ..! उनको चिदंबरम का भोला भाला चेहरा याद आ गया व विद्यालय के प्रति आक्रोश भर गया ..! मासूम खिलौने को कैसे भविष्य निर्माताओं को दे दिया है ? इसका दुख  सालता रहा ..! 

सोचे ,"-हे ईश्वर ..! पढ़ने की सजा पा रहा है बचपन या भविष्य बना रहा है यह समझ से परे है ..! कैसे इतने गणित के समिकरण हल कर पाएगा ? जब शारीरिक व बौद्धिक क्षमता इन किताबों से ही दब जाएगी ..! प्रतियोगिता के इस युग में प्रतिस्पर्धा से पहले ही विकास रुकने की दिशा में है ..! उज्वल भविष्य अंधकारमय लगता है ..!"

एक दिन ..

 चिदंबरम के पिता विद्यालय प्रबंधक के साथ सुनियोजित कार्यक्रम बना विद्यालय प्रबंधक के दफ्तर पहुंचे ..!
उनके साथ चिदंबरम भी था ..!

वह बोले ,--" महोदय . नमस्कार .! मैं चिदंबरम का पिता ..! आप के विद्यालय से कोई शिकायत नहीं है ..! परंतु ,ऐसे स्कूल मन मानी फीस व किताबों के बीच कौन सा भविष्य सुधारने की बात करते हैं ..? बड़ी बड़ी किताबें या बोझ से बच्चे की शारीरिक क्षमता पर बेहद कुप्रभाव पड़ रहा है ..! आपका शिक्षा तंत्र एक शिक्षा माफिया की तरह काम कर रहा है ..! जिनका कमिशन किताबों के जरिए बंधा है ..! स्कूल में बेल्ट से लेकर स्टेशनरी का सामान लेना पड़ता है ..! किताबों के मन माने दाम और मंहगाई के आगे फीस भी आसमान छू रही है ..! उन किताबों में बहुत से पाठ तो पढ़ाए भी नहीं जाते ..! हम साधारण आदमी कहां से इतना जोड़ें ..? मेहनत की कमाई से भविष्य के कर्णधारों को का खर्चा कैसे उठाएंगे ..? समझ नहीं आता ..! सरकारी जमीनों में खड़ी शिक्षा मंदिर की इमारत शिक्षा की नींव को हिला रहीं हैं ..! कभी सबकी शिक्षा व सबका विकास शब्द तुच्छ प्रतीत हो रहे हैं ..! कभी गांव में साधारण घर में जन्में मेरे पिता ने केवल सरकारी किताबों के सहारे पढ़ाई की थी ..! और जमाने की पी.सी.एस.भी अधिकारी भी रहे ..! लेकिन आज की शिक्षा नीति में  आए बदलाव व भ्रष्टाचार से खफा हैं ..!"

विद्यालय प्रबंधक इतनी बड़ी विस्तृत बातों से प्रभावित हुए बिना ना रहे वे अपनी कमियों को स्वीकार कर रहे थे ..!

उन्होंने बड़े प्यार से चिदंबरम को पास बुलाया और कहा ,"--बेटा ..! टाइम टेबल से बैग क्यों नहीं लाते आप?"

उनकी बात सुनकर चिदंबरम बोला ,"--सर..! हमारे टाइम टेबल में सभी सब्जेक्ट (विषय) होते हैं व टीचर कहती हैं सभी बुक्स लाएं ..! 
चाहे इंग्लिश ग्रामर हो ,चाहे लिट्रेचर हो चाहे हिन्दी, संस्कृत सभी विषयों की किताबें लानी पड़ती हैं ..!"
--",ठीक है बेटा आप अब से सभी बुक्स नहीं लाएंगे ,कल से विषय के अनुरूप ही पढ़ाई होगी ..! दूसरा हम कुछ महत्वपूर्ण विषयों का नींव कोर्स रख देंगे जिससे , बौद्धिक और शारीरिक क्षमता पर असर नहीं होगा ..यह प्रावधान मैं आज ही हाई प्रोटोकॉल मीटिंग में रखूंगा ..!"
चिदंबरम के पिता विद्यालय प्रबंधक कमेटी से आश्वासन पाकर प्रसन्न हुए ..!
अगले सत्र में बिल पारित हुआ और पैराशूट योजना विद्यालय में चलाई गई ..! जिसमें कम बोझ खिले बचपन की रुपरेखा तैयार की ..!
धन्यवाद ! पैराशूट योजना खोता बचपन फिर लौट आया आज ..एक सतत प्रयास से ..! 
#लेखनी
#लेखनी कहानी 
#लेखनी कहानी का सफर

(स्वरचित)
सुनंदा ☺️







 

   8
6 Comments

Arshi khan

04-Mar-2022 07:36 PM

बेहतरीन

Reply

Sunanda Aswal

05-Mar-2022 05:42 AM

धन्यवाद हृदय से आभार 🌺🙏🤗

Reply

Seema Priyadarshini sahay

04-Mar-2022 04:42 PM

बहुत खूबसूरत लेखन होता है आपका मैम। बहुत दिनों बाद लिखीं आप

Reply

Sunanda Aswal

05-Mar-2022 05:42 AM

धन्यवाद हृदय से आभार 🌺🙏🤗❤️

Reply

🤫

04-Mar-2022 01:39 PM

शानदार लेखन, तथ्यों के साथ सारी घटनाओ को सार्थकता से लिखा है। बहुत सुंदर maam, वेरी नाइस।

Reply

Sunanda Aswal

05-Mar-2022 05:42 AM

धन्यवाद हृदय से आभार 🌺🙏🤗❤️❤️

Reply